कुपोषण की रोकथाम के लिए 'संभव' अभियान शुरू
- तीन माह तक चलेगा कार्यक्रम, संभव से सेहत बनाए जाएंगे कुपोषित बच्चे
- स्वच्छता अपनाकर हम संक्रमण और कुपोषण, दोनों को रोक सकते हैं : जिला कार्यक्रम अधिकारी
कासगंज 28 जुलाई 2022।
जिले में बच्चों के बेहतर भविष्य और सुपोषित समाज के लिए पोषण जरूरी है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग कुपोषण बच्चों की रोकथाम के लिए जिले में एक जुलाई से संभव अभियान शुरू हो चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी सुमित चौहान ने बताया कि 30 सितम्बर तक चलने वाले अभियान के दौरान पोषण व स्वास्थ्य से जुड़ी जनजागरूकता गतिविधियां की जा रही है। स्वच्छता अपनाकर हम संक्रमण और कुपोषण, दोनों को भी रोक सकते हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) ने बताया कि वर्तमान समय में संभव कार्यक्रम प्रशासन की प्राथमिकता में चलाया जा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर छह साल तक के 1 लाख73 हजार 279बच्चों का वजन कराया गया। जिसमें 3048 बच्चे कुपोषित पाएं गए। इन बच्चों को अब हम लोग सारी सूची स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करा दी है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इनको प्रत्येक 'वीएचएनडी' जो ग्राम स्तर पर आयोजित की जाती है। वहां पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर उनको पांच प्रकार की जो दवाएं हैं, इनमें आयरन, विटामिन 'ए', एल्बेंडाजोल इत्यादि इस तरह की दवाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि एएनएम की देखरेख में कैसे खाना है। इन चीजों के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही इन बच्चों को कुपोषित और अतिकुपोषित चयन कर उसके स्वास्थ्य में सुधार लाया जाएगा। बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल मामो पर उन्हें भर्ती कराया जाएगा। डीपीओ ने बताया कि यह कार्यक्रम 30 सितम्बर तक चलेगा | 0 से 6 वर्ष की कुल बच्चों की संख्या 1लाख 73 हज़ार 279 है, कुल 3048 बच्चे कुपोषित अति कुपोषित है, जिसमें जीरो से 5 वर्ष की लंबाई वजन के अनुसार कुल कुपोषित बच्चों की संख्या 2189 है,0 से 5 वर्ष की लंबाई / वजन के अति कुपोषित बच्चों की संख्या 859 है, सम्भव अभियान चलाकर इन सभी बच्चों को जल्द से जल्द सुपोषित करेंगें।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष संभव अभियान एक नवाचार के रूप में प्रारंभ किया गया था, जिसमें विशेष रूप से अति कुपोषित (सैम) एवं कुपोषित (मैम) बच्चों का सही चिह्नांकन, उपचार, व सामुदायिक स्तर पर उनके प्रबंधन के साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया था।
डीपीओ ने बताया कि इस अभियान की सफलता व परिणाम के आधार पर एक जुलाई से 30 सितंबर तक 'सम्भव' अभियान की पुनः शुरुआत हो चुकी है। बच्चों की नामवार सूची गांव की आशा, एएनएम, ग्राम प्रधान व संबंधित कन्वर्जेंस विभागों के साथ साझा करेंगी।
इन बच्चों को स्वास्थ्य जांच के लिए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर लेकर आएंगी। जो बच्चे गंभीर होंगे, उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र अथवा ब्लॉक चिकित्सा इकाई पर भेजा जाएगा।
बाल विकास परियोजना अधिकारी ने बताया कि इस अभियान को तीन मुख्य मासिक थीम एवं साप्ताहिक थीम के रूप में विभाजित किया गया है। जुलाई को स्तनपान प्रोत्साहन माह के रूप में मनाया गया। जिसके अंतर्गत प्रत्येक सप्ताह स्तनपान से जुड़ी जन जागरूक गतिविधियां की गई। अगस्त को ऊपरी आहार माह के रूप में मनाया जाएगा। प्रत्येक सप्ताह ऊपरी और अर्ध ठोस आहार के बारे में भी जागरूक किया जाएगा।