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स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के सदस्य को एसटीएफ ने दबोचा, पूंछताछ जारी, कइयों के नाम खुल सकते हैं

*एटा। स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के सदस्य को एसटीएफ ने दबोचा, पूंछताछ जारी, कइयों के नाम खुल सकते हैं*

 पुरानी कहावत है जितनी लम्बी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिये। लेकिन पत्रकार के वेश में छिपे एटा के ये शातिर अपराधियों ने शायद कहावत नही सुनी, अगर सुनी तो अमल नही किया। छोटी छोटी दलाली, ठगी के बाद इनके हौंसले इतने बुलंद हो गये कि सीधे शासन स्तर तक की ठगी करना शुरू कर दिया। लेकिन अब इन के बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। चलिये सीधे मुद्दे पर आते हैं।

एटा में आज बड़ा कांड हुआ है, बड़ा मने बहुत बड़ा। लेकिन मीडिया से नदारद है। साईकिल चोरी हो जाने की खबर एक मिनट में फ्लैश करने वाले व्हाट्सएपिये, पोर्टलिये पत्रकार इस खबर को छिपाऐं बैठें हैं। लेकिन मैं आपका पूरी घटना को विस्तार पूर्वक बताउंगा। ​

हुआ यूं है कि एक पत्रकार आज एसटीएफ ने धर लिये हैं, सीधे लखनऊ ले गई है। स्वास्थ्य विभाग में फर्जी तरीके से नौकरी दिलवानें का प्रकरण हैं। पत्रकार का नाम हैं राजेश गुप्ता, अब कौन से अखबार से ये आप खुद पता करो। इन पर आरोप है कि सीधे स्वास्थ्य मंत्री बनकर लखनऊ के अधिकारियों को ही फोन पर हड़का दिया। नतीजन मुख्यमंत्री ने खुद संज्ञान ​लिया और एसटीएफ बाले आ धमके।

*कौन हैं राजेश गुप्ता*
शायद पत्रकार हैं, शायद इसलिये लगा रहा हूं क्योंकि कभी लगा ही नही कि पत्रकारिता करते हैं। कभी अखबार नही देखा। जनपदीय पत्रकार ऐसोशियेसन के पदाधिकारी भी हैं। शॉर्ट में बोलें तो जपए। वही बाली जपए जो हर तीसरे महीने चुनाव कराती है।

लेकिन राजेश गुप्ता तो सिर्फ मोहरा हैं, अगर ठीक से जॉंच हो तो पूरा गैंग पकड़ा जाऐगा। ये एक रैकेट है जो कि स्वास्थ्य विभाग में आपको नौकरियां दिला देता है। फिर आपके पास योग्यता हो या न हो। ये काम इन्होने तत्कालीन सीएमओ आरसी पांडेय के दौर में शुरू किया था और आज तक चल रहा है। इस गैंग का एक सरगना हैं नाम हैं नटवरलाल उफ्फ..... सॉरी राकेश कश्यप। तो महाश्य की पत्नी में स्वास्थ्य विभाग कांउसलर के पद पर रह चुकी हैं जब शिकायत हुई तो इस्तीफा दे दिया। फिर बेटी की नौकरी स्वास्थ्य विभाग में लग गई। राजेश गुप्ता की पत्नी भी स्वास्थ्य विभाग में लग गई। गैंग के दूसरे साथी गुड्डू अब्बास की पत्नी भी स्वास्थ्य विभाग में लग गई। अब ये स्वास्थ्य विभाग सरकारी विभाग है या इनके बाप की बपौती, किसी और का नंबर आता ही नहीं। इनके ही पहचान वाले कैसे लग रहे हैं। इस पर जॉच होनी चाहिये। कहा तो यह जा रहा है कि मंत्री बनकर फोन राकेश कश्यप ने ही क्या था।

अगर एसटीएफ हर प्वाइंट पर जांच करे तो माजरा खुल कर सामने आ जाऐगा। मैं तो पिछले पांच साल से सबूतों के साथ चिल्ला रहा हूं कि फर्जीवाडा हुआ है, फर्जीवाडा हुआ। ​पर एटा के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांध कर बैठें हैं। अब लखनऊ से कुछ सुगबुगाहट हुई तो उम्मीद करता हूं कि इनका पर्दाफाश हो, और पत्रकारिता के नाम की गंदगी साफ हो।

बाकी बात अगली पोस्ट में रखूंगा। अगर आप सच के साथ हो और वास्तव में पत्रकार हो तो इस पोस्ट को शेयर कर देना, वर्ना खबर की तरह इसे भी दबा लेना। जय हो पत्रकारिता की।

ब्यूरो रिपोर्ट
नीलम राजपूत