समस्तीपुर (अब्दुल कादिर)
बिहार राज्य के समस्तीपुर जिला अंतर्गत सिंघिया प्रखंड में 2 महीनों से अधिक बाढ़ की त्रासदी को झेलते हुए आम नागरिकों की जीवन अस्त-व्यस्त होकर रह गई! इस अवधि में स्वास्थ्य रक्षक कैंप,स्वास्थ रक्षक औषधियोंका वितरण,पशु चिकित्सालय,शुद्ध पेयजल,विस्थापित परिवारों के लिए रैन बसेरा, सूखा भोजन,इत्यादि किसी भी प्रकार का कोई पहल नहीं किए जाने के विरोध में अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने वास्ते प्रखंड क्षेत्र के ग्राम लीलहॉल एवं ग्राम माहे के बाढ़ पीड़ित परिवार सड़कों पर आकर भुखमरी से बचाव हेतु अपने सदा बुलंद किए

तब जाकर सरकारी सहायता के नाम पर पक्षपाती एवं भेदभाव पैमाने पर अंचलाधिकारी के मिलीभगत से वार्ड सदस्य,मुट्ठी भर दलालों, कमीशन खोरो द्वारा मनमाने ढंग का सूची बनवाकर ₹6000 ही मात्र देकर भगवान भरोसे जीवन यापन करने को छोड़ दिया!अभी तक प्रखंड क्षेत्र के हजारों परिवार उपरोक्त लाभ से भी वंचित है ,हद की सीमा तब पार हो गई जब लोकतांत्रिक ढंग से भुखमरी से परेशान आम लोगों नेअपनी आवाज सड़क के माध्यम से सरकार तक भेजनी चाहे तब सरकारी मशीनरी बेनकाब होते देख अपनी नाकामी को छुपाने और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने जनविरोधी आचरण प्रदर्शित करते हुए अंचलाधिकारी सिंघिया द्वारा थाना प्रभारी के माध्यम से चुन-चुन कर 12 सामाजिक कार्यकर्ता एव 600 अन्य नागरिकों के विरुद्ध षड्यंत्र का जाल बुनकर प्राथमिकी दर्ज करके लोकतांत्रिक नियमों का पूर्णरूपेण धज्जी उड़ाया गया है अंचलाधिकारी द्वारा दमनकारी रवैयाको देखते हुए प्रखंड क्षेत्र में दहशत का माहौल व्याप्त है आम नागरिकों के साथ साथ जनप्रतिनिधियों बुद्धिजीवियों के बीच सरकारीतंत्र से विश्वास कम होती दिख रही है उपरोक्त जानकारी सिंघिया प्रखंड भाकपा माले अंचल सचिव रामचंद्र प्रधान प्रखंड क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता नजरेआलम सिद्दीकी युवा कांग्रेस डॉक्टर समोली झा से बातचीत के माध्यम प्राप्त हुआ आगे तीनों समाजसेवियों ने आह्वान किया कि यदि बाढ़ की त्रासदी से जूझते हुए ग्रामीण लोगों की सहायता की आवाज देकर सरकार को नींद से बेदार करने वास्ते इंकलाब का नारा देना अंचलअधिकारी के नजर में अपराध है तो इस प्रकार का अपराध क्रांतिकारी में बदल जाएगा और लोकतंत्र की रक्षा करने में प्रखंड क्षेत्र के नागरिक अपना योगदान देंगे आगे उन्होंने जिला प्रशासन एवं उच्च अधिकारी से मांग किया के बेकसूर सामाजिक कार्यकर्ता तथा नागरिकों पर दर्ज प्राथमिकी खारिज किया जाए और लोकतंत्र के अधिकारों का पालन करने में आम जनों का सहयोग किया जाए और बाढ़ पीड़ित परिवारों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराते हुए किसानों का सभी प्रकार का कर्ज माफ किया जाए किसानों का बाढ़ से हुए फसल क्षति का सर्वेक्षण कराकर क्षतिपूर्ति मुआवजा दिया जाए जल जमाव वाली ग्रामीण स्थलों पर घट रहे जानलेवा बाढ़ की पानी वाली स्थान पर डीडीटी का छिड़काव किया जाए बाढ़ एवं वर्षा के दंश से बेघर हुए लोगों को आवास निर्माण हेतु ₹500000 प्रदान किया जाए जीविका समूह तथा महिला समूह को सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान द्वारा दिए गए किसी भी प्रकार के कर्ज को माफ किया जाए अन्यथा आने वाले दिनों में लोकतंत्र की रक्षा और सामाजिक न्याय की लड़ाई में पीड़ित परिवारों के साथ हो रहे अन्याय पूर्ण रवैया के विरुद्ध लोकतांत्रिक तरीके पर सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए क्रांतिकारी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।