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बिहार के माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक



समस्तीपुर

               बिहार में आज लगभग 5 हजार हाईस्कूलों में 40 हजार शिक्षक जो माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाते है_ _25 फरवरी से ही हड़ताल पर है, और अपनी माँग पर डटे है।।_ _जिसके कारण विद्यालय में पढ़ाई लिखाई बन्द है। दूसरी तरफ देखा जाय तो हड़ताल के कारण बिहार के लगभग 50 से ऊपर राष्ट्र निर्माता की मृत्यु भी हो चुकी है जिसका कारण ब्रेन हमरेज, हार्ट अटैक और वेतन के अभाव  से हुआ है। प्रश्न उठता है कि इस तरह के शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक के स्थिति के लिए जिम्मेवार कौन??

 _प्रश्न  आम जनता के मन में  कहीं न कहीं आता ही होगा। आज सरकार  मध्यान भोजन, छात्रवृत्ति, साइकिल,पोशाक योजनाओं के द्वारा बिहार के जनता और बच्चों को स्कूल के तरफ खींचने का प्रयास किया है जो बहुत ही अच्छी बात है होना भी चाहिए क्योंकि बिहार गरीब राज्य है।  वहीं दूसरी तरफ  सरकार शिक्षकों का  नियोजन व्यवस्था लाकर  शिक्षा व्यवस्था से धीरे धीरे युवाओं को दूसरे सरकारी नॉकरी के तरफ भी ध्यान आकृष्ट किया है क्योंकि इस व्यवस्था में शिक्षकों को अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा है। बात भी सही है पूरे 60 वर्ष के नॉकरी के बाद बूढापे का कोई सहारा नजर नही आना। आज का ये शिक्षा का भयवाह व्यवस्था और शिक्षकों का दयनीय स्तिथि में  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का कल्पना करना क्या उचित होगा??_
        _आम जनता को भी लगने लगा है कि बिहार के सरकारी विद्यालय में  अल्प वेतनभोगी शिक्षक   से  गुणवत्तापूर्ण  शिक्षा  की क्या कल्पना की जा सकती क्योंकि वही शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकते  हैं जिनको अपना भविष्य  अंधकारमय न दिखे ।क्योंकि अल्पवेतन और  भविष्य की चिंता में  उनसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आशा करना उचित नही होगा।_ _परन्तु इसके बावजूद बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षकों ने 14 वर्षों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहें है जिसका अनुमान आज मैट्रिक- इंटर के रिजल्ट से लगया जा सकता है  जिसकी चर्चा देश ही नही विदेशों में भी होने लगा है।_
  _इस कोरोना जैसे वैश्विक महामारी में विद्यालय बन्द है, पूरे बिहार के शिक्षक हड़ताल पर हैं जिसके कारण शिक्षकों का वेतन  भी बंद है, लेकिन योजनाओं जो छात्रवृत्ति/साइकिल/पोशाक इत्यादि के पैसा बच्चों के खाते में पहुँच रहें है चाहे उनके अभिभावक को आय का श्रोत पहले से मौजूद हो या नही हो। ये सभी  चीजे कही न कही सरकार के  राजनीति  से जुड़ी भी  होने का इशारा करती  हैं। शिक्षा विभाग और सरकार को केवल बच्चों को पैसे देने भर का कार्य नही है यहां के बच्चों  को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षकों  के भविष्य की  जिम्मेवारी भी है।या यूं कहें तो यह कहना उचित ही होगा कि बिहार के शिक्षा व्यवस्था, शिक्षक  और छात्र का भविष्य अंधकार में डूब रहा है।_
  _बन्धुओं  अगर इस शिक्षा व्यवस्था से उबरना है नियोजित जैसे कलंकित शब्द से छुटकारा पाना है अपने खोये हुए सम्मान पाना है तो हमें डटकर हड़ताल पर रहना होगा।  नहीं  तो जीवन भर हमलोग इसी तरह कलंकित रह जाएंगे।_



समस्तीपुर से अब्दुल कादिर