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एसपी की ईमानदारी भिण्ड के कुछ नेताओं और रेंज के आईजी को नहीं आ रहीं रास *नेता और चम्बल रेंज के आईजी अब लग गए एसपी को उखाड़ने के प्रयास में

भिन्ङ जिला मध्यप्रदेश


*अगर एसपी नगेन्द्र सिंह हटते हैं तो जिला आग की लपटों में जल जाएगा*
भिण्ड। जिला मध्यप्रदेश अभी हाल हीं में तीन महीने पूर्व श्योपुर जिले से स्थानांतरण होकर भिण्ड आए पुलिस अधीक्षक नगेन्द्र सिंह ने जिले की जनता के सामने अल्प समय में हीं वो मिशाल पेश की जिससे जिले की जनता में हर्ष की लहर है।
मगर वहीं कुछ जिले के नेताओं व चम्बल आईजी को एसपी की ईमानदारी रास नहीं आ रहीं है। एसपी ने आते हीं भिण्ड जिले में अपनी कार्यकुशलता एवं सूझबूझ से वह कर दिखाया जो जिले में विगत दो वर्षो से तैनात रहे पुलिस अधीक्षक नहीं कर पाएं। पुलिस अधीक्षक की बजह से जिले के थानों में लगने वाले दलालों का सफाया और दो वर्ष से रिश्वत की मोटी रोटियां खाकर मोटे होने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के कमर से बेल्ट अब नीेचे सरकने लगे हैं। पुलिस थानों में वर्षों से व्याप्त दलाली प्रथा व भ्रष्टाचार को कुछ हद तक पुलिस अधीक्षक की नई नीत के चलते विराम लगने लगा हैं। सूत्र व जिले की जनता की जनचर्चां के आधार पर यह बात अब जिले में सुनाई देने लगी हैं कि पुलिस अधीक्षक के आने के बाद जिले के एक दर्जन थानाप्रभारी अब इस जिले से अपना स्थानांतरण चाहते हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि इस जिले में एक दर्जन थानाप्रभारी नेताओं के कहने पर पूर्व पुलिस अधीक्षक ने तैनात किए थे। ये नेता एक दर्जन थानाप्रभारियों से सीधे मोबाइल पर जुड़े थे। थानों में किसको बंद कराना हैं या छुड़वाना हैं, इस आशय का आदेश पूर्व में पुलिस अधीक्षक का नहीं नेताओं का चलता था। अब समय बदल गया, परिस्थितियां बदल गई, पुलिस अधीक्षक बदल गए और नगेन्द्र सिंह ने अपनी नई नीत के चलते अल्प समय में हीं इस जिले की जनता को लूटने वाले दलालों को खत्म किया है। पुलिस की खोई हुई प्रतिष्ठा में चार चांद लगाने में प्रयत्नशील है। गुण्डे-बदमाश विगत एक वर्ष पहले सड़कों पर दिखाई देते थे और सभ्रांत नागरिक घरों में कैद रहते थे। अब नगेन्द्र सिंह के आने के बाद गुण्डे जेल में और भले आदमी अब आसानी से अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे है। अभी तक जिले में पुलिस का खुला जो नंगा-नाच चल रहा था, उससे जिले की जनता में भय और असुरक्षा का माहौल था या यह कहा जाए कि रोम जल रहा था नीरो वंशी बजा रहा था। अगर भिण्ड जिले के कुछ नेता एसपी को हटाने में अगर सफल हो गए तो यह भिण्ड जिला आग की लपटों में जल जाएगा। भिण्ड जिले में विगत 22 महीनों से पुलिस विभाग में एक व्यापक पैमाने पर निरीक्षक, उप निरीक्षक के तबादले 24 घण्टे, चार दिन, दस दिन, पंद्रह दिन के भीतर भी किए गए व सस्पेंड किए गए। कुछ दिनों में बहाल भी किए गए। वरिष्ठ कार्यालय द्वारा जिले में कई निरीक्षक व कई उप निरीक्षक व कई आरक्षकों को अभी तक ग्वालियर में बैठे अधिकारियों द्वारा हटाया गया हैं और मनमाफिक रूप से थानों पर निरीक्षक और उपनिरीक्षकों की पदस्थापनाएं की गई हैं जिससे रेंज के वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर भी सवालियां निशाान लगे हैं। पुलिस अधीक्षक को स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करने दिया जा रहा हैं। जबकि जिले का पुलिस विभाग में मुखिया पुलिस अधीक्षक होता हैं और वरिष्ठ अधिकारी निरीक्षणकर्ता अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। फिलहाल भिण्ड जिले में ईर्याद्वेष व बदले की भावना से वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा भिण्ड पुलिस के खिलाफ जो कार्यवाहियां की जा रहीं हैं। उससे पुलिस विभाग की छवि पर गहरा आघात पहुंच रहा हैं। भिण्ड जिले में अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन कोई नई बात नहीं हैं, यह कार्य सदियों से चला आ रहा हैं और विगत 22 महीने से भी हो रहा था, तब रेंज के वरिष्ठ अधिकारी मौन बने हुए थे।


व्योरो रिपोर्ट सोनी राजपूत