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नागा संगठन की बेमियादी नाकाबंदी से मणिपुर की समस्या बढ़ी

 एक विवादित जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई के सिलसिले में नागालैंड के एक आदिवासी संगठन की ओर से मणिपुर-नागालैंड सीमा पर बीते आठ दिनों से जारी बेमियादी नाकाबंदी ने मणिपुर के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं.नेशनल हाईवे 2 और 53 को मणिपुर की जीवन रेखा कहा जाता है. लेकिन बीते आठ दिनों से नागालैंड के एक आदिवासी संगठन साउदर्न अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइजेशन (एसएपीओ) ने नेशनल हाईवे दो पर वाहनों की आवाजाही ठप्प कर दी है. यह सड़क नागालैंड होकर मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है. एनएच-2 पर वाहनों की आवाजाही ठप होने के कारण इस पर्वतीय राज्य में पेट्रोल, डीजल और दूसरी जरूरी वस्तुओं की किल्लत हो गई है. हालांकि काफी लंबे रास्ते से कुछ ट्रक राजधानी इंफाल पहुंचे हैं, लेकिन उनमें आने वाला सामान मांग के मुकाबले नाकाफी है. ज्यादातर ट्रांसपोर्ट कंपनियां मणिपुर तक आवाजाही के लिए एनएच दो को ही प्राथमिकता देती हैं. एनएच-53 असम से मणिपुर में प्रवेश करता है. लेकिन यह रास्ता काफी लंबा है. नागालैंड मेडिकल डीलर्स एसोसिएशन (एनएमडीए) ने एसएपीओ से मानवीय आधार पर मणिपुर में आवश्यक जीवनरक्षक दवाओं के परिवहन की अनुमति देने की अपील की है.


एनएमडीए के संयुक्त सचिव अरिजीत शर्मा ने एक बयान में कहा है कि मणिपुर की जीवन रेखा एनएच-2 पर नाकेबंदी ने सभी वाहनों की आवाजाही और दवाओं की सप्लाई ठप्प हो गई है. इस बंद के विरोध में आल असम मणिपुरी यूथ एसोसिएशन ने उसी हाइवे के असम से सटे हिस्से में नाकाबंदी की अपील की है. संगठन ने कहा है कि मणिपुर सीमा पर नाकाबंदी खत्म नहीं होने तक यह नाकाबंदी जारी रहेगी. नाकाबंदी की वजह उक्त आदिवासी संगठन ने विवादास्पद केजोल्त्सा वन क्षेत्र में मणिपुर के सशस्त्र सुरक्षा बलों की तैनाती और सरकारी की ओर से उस इलाके में किए जाने वाले निर्माण कार्यो के विरोध में पहले 72 घंटे का बंद बुलाया था. बाद में उसे बढ़ा कर बेमियादी नाकेबंदी कर दिया गया. संगठन की दलील है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए संबंधित पक्षों ने वर्ष 2017 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. बावजूद इसके मणिपुर सरकार विवादित स्थल पर पक्के बैरकों का निर्माण कर रही है और उसने मौके पर सशस्त्र सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया है. संगठन की मांग है कि वहां निर्माण कार्य फौरन रोक कर सुरक्षा बलों को हटा लिया जाए. मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने विधानसभा में कहा है कि उक्त निर्माण कार्य मणिपुर की सीमा के सौ मीटर भीतर हो रहा है.