बन बिभाग को पता तक नहीं लगता और हो जाते हैं अबैध लकड़ी कटान
जनपद कासगंज में अबैध लकड़ी कटान जोरों पर चल रहा है। दलालों के सह पर हो रहे कासगंज में अबैध लकड़ी कटान। दलाल घर बैठे कर लेते है दलाली की बात और ठेकेदारों को सह दे देते हैं कि जितना चाहे कटान करो लेकिन हमारा हिस्सा हमें पहुंचा दो और कोई बात हो तो बात करा दो। आखिर इस शहर में चल क्या रहा है ये समझ नहीं आता। हाल ही में कई मामले संज्ञान में आये हैं कि बन बिभाग को भनक तक नहीं और लकड़ी कटान हो गए। मैं अवगत करा दूँ कि ठेकेदार पीपल के पेड़ों पर तक रहम नहीं खा रहे जब कि हिन्दू रीति रिवाज के मुताविक पीपल के पेड़ को पूज्यनीय माना जाता है इतना ही नहीं पीपल का वृक्ष हमें पूर्ण ऑक्सीजन प्रदान करता है । इसका भी ख्याल ना करते हुए पीपल के वृक्ष भी वेरहमी से काटे जा रहे हैं। ये मामला कहीं और का नहीं वल्कि जनपद कासगंज के सोरों ब्लॉक गांव घुरैना का है जहां कई नीम के वृक्ष के साथ साथ एक बहुत बड़ा पीपल का वृक्ष भी बेरहमी से काट दिया गया।
वहीं दूसरा मामला सहावर ब्लॉक का है जहां सहावर- एटा रोड नहर के किनारे एक बाग में काफी मात्रा में सागौन के वृक्षों का रातों रात सफाया कर दिया।
बात करें तीसरे मामले की तो ब्लॉक अमांपुर के जाटऊ गांव में भी सरकारी स्कूल के बराबर वृक्षों का कटान हुआ है अब ये कहना मुश्किल है कि इन सभी मामलों की बन बिभाग के संज्ञान में है या नहीं । अगर है तो कटान किस वेश पर हुए अगर नहीं तो क्या कार्यवाहीं होगी ऐसे लकड़ी माफियाओं के खिलाफ।
जब बन बिभाग के फील्ड ऑफिसरों को पेड़ कटने की सूचना देकर अवगत कराने के बाद जब उनसे घटना क्रम का विवरण जानना चाहा तो अगले दिन जांच करने का हवाला देते हुए अपने कार्यों से पीछे हटते हुए नजर आए।