महज पति का रिश्तेदार होना किसी को आरोपी बनाने का आधार नहीं हो सकता, घरेलू हिंसा केस में दिल्ली की कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
घरेलू हिंसा के एक मामले में दिल्ली की अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि कोई भी महिला ऐसे किसी व्यक्ति पर घरेलू हिंसा का आरोप नहीं लगा सकती, जिसने अतीत में या वर्तमान में उसके साथ एक छत साझा ना की हो।
तीस हजारी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हिमानी मल्होत्रा की अदालत ने महिला द्वारा अपनी ननद, ननदोई व पति के मामा के खिलाफ दायर घरेलू हिंसा के मामले को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा है कि इन सदस्यों में से कोई भी व्यक्ति उस घर में नहीं रहते, जिसमें शिकायतकर्ता महिला रह रही है, इसलिए उसके द्वारा इन लोगों पर लगाए गए घरेलू हिंसा के आरोप बेबुनियाद हैं। अदालत ने घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम 2005 की विस्तृत व्याख्या की।