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नाना के पास रह रहे बेटे को छुड़ाने के लिए पिता ने लगाई हाईकोर्ट में गुहार


     इलाहाबाद उच्च न्यायालय- पारिवारिक विवाद के कारण अपने नाना के पास रह रहे बेटे को छुड़ाने के लिए एक पिता ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है। पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण अर्जी दाखिल कर कोर्ट से अनुरोध किया है कि उसके बेटे को उसकी सुपुर्दगी में सौंपा जाए। कानपुर नगर के मधुसूदन की अर्जी पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने एसएसपी और सीएमओ कानपुर को निर्देश दिया है कि नाबालिग अंशुमान को इस प्रकार से सुरक्षित हाईकोर्ट लाया जाए कि उसे कोरोना इंफेक्शन न होने पाए।

कोर्ट ने पिता को इसके लिए 15 हजार रुपये नकद महानिबंधक के खाते में जमा करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई 17 जून को होगी। मधुसूदन का कहना है कि उसके बेटे अंशुमान सचान को नाना प्रमोद सचान ने जबरन निरुद्ध कर लिया है। उसे बेटे से मिलने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है। इसलिए बेटे को उनसे मुक्त कराकर याची को अभिरक्षा सौंपी जाए।

कोर्ट ने इस मामले में आठ जून को एसएसपी कानपुर नगर को आदेश दिया था कि अंशुमान को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कानपुर के समक्ष प्रस्तुत कर उसका बयान दर्ज करवाएं। सीएमएम को बयान दर्ज कर हाईकोर्ट को प्रेषित करने का निर्देश दिया था। सीएमएम ने आदेश का पालन करते हुए अंशुमान का बयान रिकार्ड कर हाईकोर्ट को भेजा।

बयान पढ़ने के बाद कोर्ट ने कहा कि इससे ऐसा लगता है कई सवाल अनसुलझे हैं, जिसके लिए बच्चे को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है। अंशुमान फिलहाल अपने नाना के साथ कानपुर नगर के सजेती थाना क्षेत्र के बरीपाल गांव में रह रहा है।


रिपोर्ट मोहम्मद साबिर