एचसी के आरक्षण आदेश से दावेदारों की बढ़ी बेचैनी
फर्रुखाबाद। पहले पंचायत चुनाव के आरक्षण पर एचसी की रोंक और उसके बाद अब आरक्षण में बदलाव के आदेश से दावेदारों का गणित बिगड़ गया है। चुनाव प्रचार में दिन रात एक करनें वाले दावेदार आरक्षण के इंतजार में घर बैठ गये है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण की अंतरिम सूची ने तमाम लोगों के सपने चकनाचूर कर दिए थे। अब हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन से पूर्व आरक्षण में बदलाव से दावेदारों की उम्मीद जाग गई है। आपत्ति दर्ज कराने वालों को उम्मीद है कि कुछ बदलाव जरूर होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पंचायत चुनाव में 2021 के आरक्षण फॉर्मूले को खारिज करते हुए 2015 के चक्रानुक्रम के आधार पर नए सिरे से सीटों के आवंटन व आरक्षण का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए जारी की गई नई आरक्षण प्रणाली नहीं चलेगी बल्कि 2015 को आधार मानकर ही आरक्षण सूची जारी की जाए।
कोर्ट के इस फैसले से पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे दावेदारों के सपनों को शासन द्वारा निर्धारित आरक्षण प्रक्रिया ने ध्वस्त कर दिया था। निराश हुए दावेदारों को आपत्ति के रूप में पतवार मिली और पतवार नें कोर्ट के फैसले को आते ही नौका का रूप ले लिया। दरअसल शासन नें जो आरक्षण प्रक्रिया जारी की थी उससे बड़े-बड़े राजनैतिक सूरमाओं की कमर तोड़ दी। इसके साथ ही अधिकतर जगह वह चेहरे उभर कर सामने आ गये जिनकी चुनाव लड़ने की चर्चा पीछे वर्षों में कभी नही हुई या उन्होंने कभी गाँव की राजनीति से सरोकार नही रखा। जो शासन के द्वारा जारी आरक्षण में फीट बैठा उसके होर्डिंग, पोस्टर बाल पेंटिंग कराकर क्षेत्र को पाट दिया। लोग के सुख-दुख में इन चंद दिनों के अग्रिम पंती में खड़े दिखायी दिये। लेकिन आरक्षण में बदलाव की खबर नें उन दावेदारों को करार झटका दिया जो चुनाव प्रचार की नाव को तेजी से तैरा रहे थे। या यूँ कहिए की दावेदार अचानक संस्कारी हो गये थे।
दावेदारों ने अब तक खर्च किया लाखो रूपये!
दरअसल चुनाव मैदान में कूदे दावेदार अपने मतदाताओं को रिझानें के लिए पार्टी कराकर पैसा पानी की तरह बहानें में लगे थे । शराब, मुर्गा,चिकन की पार्टी आये दिन गांवों में चल रही थी। लोगों की शादी, तेरबी, जन्मदिन, गृहप्रवेश, शव, शुभ यात्रा में भी जाने पर भी खूब खर्चा किया गय। कई दावेदार तो व्याज पर पैसे लेकर चुनाव मैदान में कूदे थे। लाखों रूपये खर्च के बाद आये कोर्ट के फैसलें नें उनकी उम्मीद तोड़ दी।अब 27 मार्च को नये आरक्षण का इंतजार शुरू हो गया है।
ब्यूरो रिपोर्ट बसारत की रिपोर्ट