मेरापुर फर्रुखाबाद । संकिसा के वृद्ध भिक्खु गुणानंद महाथैरो के निधन से बौद्ध भिक्षुओं एवं उपवासकों में शोक की लहर दौड़ गई। 84 वर्षीय भिक्खु गुणानंद महाथैरो ने बीती रात 10 बजे संकिसा स्थित भारतीय बुद्ध विहार में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे भिक्खु गुणानंद महाथैरो थाना मेरापुर के ग्राम नगला दुबे के मूल निवासी थे उनके बचपन का नाम नवाब सिंह था।
नवाब सिंह ने वर्ष 1989 में लखनऊ रिसालदार पार्क स्थित भिक्खु प्रज्ञानंद महाथैरो से चीवर ग्रहण किया था। मालूम हो कि भिक्खु प्रज्ञानंद महाथैरो उन पांच महान भिक्षुओं में शामिल थे जिन्होंने वर्ष 1956 में डॉक्टर अंबेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। भिक्खु गुणानंद महाथैरो सन् 1990 से संकिसा स्थित धम्मालोको बुद्ध विहार में रहे, सन 1992 में उन्होंने संकिसा में ही भारतीय बुद्ध विहार का निर्माण कराया था।

भिक्खु गुणानंद महाथैरो के निधन की सूचना मिलने पर भिक्खु एसनंदा, भिक्खु प्रोफ़ेसर उपनंद ,भिक्खु प्रोफेसर करुणा बोधि ,भिक्खु प्रज्ञा सार, भिक्षु धम्मकीर्ति, भिक्खु चेतसिक बोधि, भिक्षु धम्म रतन, भिक्षु बुद्ध रतन, भिक्षु गुणसागर, उपासक कर्मवीर शाक्य, गंजडुंडवारा के अजब सिंह ,प्रधान दीपक राजपूत, सोनू राजपूत, डॉक्टर कप्तान सिंह शाक्य, पूर्व प्रधान होरीलाल शाक्य ,अलीगंज के गंगा सहाय, इंजीनियर कौशल कुमार ,सुरेश बौद्ध, रामनरेश शाक्य, डॉक्टर पन्नालाल राजपूत, रघुवीर सिंह शाक्य आदि लोग भारतीय बुद्ध विहार पहुंचे। सभी लोगों भिक्खु गुणानंद महाथैरो के शव पर पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कर्मवीर शाक्य ने बताया कि भिक्खु गुणानंद महाथैरो के निधन से बौद्ध धर्म को काफी क्षति पहुंची है। भिक्खु गुणानंद महाथैरो का काली नदी राजघाट पर दाह संस्कार किया गया। बड़े बेटे नेत्रपाल ने भिक्खु गुणानंद महाथैरो गुणानंद को मुखाग्नि दी। भिक्षुओं एवं उपासको की आंखें नम रहीं।
ब्यूरो रिपोर्ट सोनू राजपूत की रिपोर्ट