बिक्रम सिंह मजीठिया ही नहीं ये कारण भी नवजोत सिंह सिद्धू की अमृतसर में राह बना रहे मुश्किल, जानिए इस सीट का समीकरण
शनिवार को पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर ईस्ट से अपना नामांकन दाखिल किया। इससे पहले दिन शुक्रवार को अकाली दल उम्मीदवार बिक्रम सिंह मजीठिया ने इस सीट पर पर्चा भरा था। बिक्रम सिंह वो शख्स हैं जिन पर पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पिछले साल ड्रग्स के आरोप में जेल भेजा था। अकाली दल ने उन्हें सिद्धू के खिलाफ मैदान में उतारकर इस सीट पर चुनाव को रोचक बना दिया है। माना जा रहा है कि सिद्धू भी मजीठिया के इस सीट पर चुनाव लड़ने से असहज हैं। लेकिन अमतसर ईस्ट पर सिद्धू की मुश्किल सिर्फ मजीठिया नहीं हैं, ऐसे कई वादें हैं जो पिछले पांच में अभी भी अधूरे हैं जो इस बार के चुनाव में सिद्धू की राह कठिन बना रहे हैं। चलिए एक नजर डालते हैं वो मुद्दे।
चुनाव वाले पंजाब राज्य में कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर अपनी पुरानी सीट अमृतसर ईस्ट से चुनावी मैदान में हैं लेकिन अधूरे वादे और अधूरे विकास कार्य वे वजहें हैं जिनसे जनता का सिद्धू पर रोष बना हुआ है। सिद्धू का गोद लिया गांव आज भी विकास के लिए टकटकी लगाए बैठा हैं। इतना ही नहीं क्षेत्र का दौरा न करना और जमीनी कार्यकर्ताओं से दूरी समेत कई कारण हैं जो नवजोत सिंह सिद्धू के लिए मुश्किल बढ़ा सकते हैं।
इंडिया टुडे में छपि खबर के मुताबिक, 2017 तक अमृतसर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर को चहेता समझा जाता था लेकिन इन पांच सालों में समीकरण काफी बदल गए हैं। सिद्धू के लिए 2017 के चुनावों में जीतना आसान था, लेकिन इस वक्त विधानसभा क्षेत्र में अधूरे विकास कार्यों और अन्य अधूरे चुनावी वादों के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं से उनकी दूरी के साथ एक अलग खेल पनप रहा है। वल्लाह सब्जी मंडी और फोर-एस चौक पर रेलवे ट्रैक पर फ्लाईओवर बनाने की योजना अभी रिकॉर्ड रूम में ही सिमटी हुई है। इन क्षेत्रों के निवासियों को अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। रसूलपुरा, मकबूलपुरा, वल्लाह और वेरका जैसे ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बटाला रोड जर्जर स्थिति में है और विभिन्न इलाकों में सीवर सिस्टम ठप है।
गोद लिए गांव की हालत बदतर
नवजोत सिंह सिद्धू ने मुधर गांव को गोद लिया था, जिसमें अभी भी पर्याप्त पीने के पानी की कमी है। यहां के निवासी गड्ढों से भरी सड़कों से होकर गुजरते हैं, जहां से सीवरेज की दुर्गंध आती है। इतना ही नहीं सिद्धू का इस निर्वाचन क्षेत्र में बहुत कम दौरा करने का आरोप है। जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय निवासियों में उनके खिलाफ आक्रोश है।
लापता पोस्टरों से जनता का सिद्धू को संदेश
नवजोत सिंह सिद्धू अक्सर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यों को लेकर आलोचना करते रहे हैं। लेकिन अब वे अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र में सिद्धू के 'लापता पोस्टर' इस बात सबूत हैं जो इस सीट को उनके लिए मुश्किल बता रहे हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की भी निगाहें
अकाली दल अकेली पार्टी नहीं है जो इस सीट पर गंभीरता से नजर गड़ाए हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सिद्धू को हराने का संकल्प लिया है। पंजाब लोक कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (संयंक) भी सिद्धू को चुनौती देने के लिए कमर कस रहे हैं। हालांकि, शिअद के करीबी सूत्रों ने कहा कि वे सिद्धू और मजीठिया के बीच सीधी लड़ाई चाहते हैं और उम्मीद है कि अन्य (पीएलसी, भाजपा, शिअद संयुक्त) हल्के उम्मीदवार उतारेंगे।
विपक्ष के आरोप
अमृतसर ईस्ट पर आप उम्मीदवार जीवनजोत कौर सिद्धू पर आरोप लगाते हुए कहती हैं, "अगर आप विधायक के रूप में नवजोत सिंह सिद्धू का कार्ड पढ़ना चाहते हैं, तो बस अमृतसर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र के जोरा फाटक, रसूलपुरा, मकबूलपुरा और वेल्ला क्षेत्रों का दौरा करें। कचरे के ढेर को देखें, तारों के अलावा आपूर्ति किए जा रहे पोर्टेबल पानी की गुणवत्ता देखिए। जिन्हें घरों के ऊपर रख दिया गया है।"
वहीं, अकाली दल के अमृतसर अध्यक्ष गुरप्रीत रंधावा कहते हैं, "वह (सिद्धू) सिर्फ लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। उन्होंने पिछली बार उन्हें स्वर्ग का वादा करके धोखा दिया था, लेकिन उन्हें बार-बार बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है। अगर आप उनके पंजाब मॉडल ऑफ डेवलपमेंट की एक झलक देखना चाहते हैं, तो बस उनके निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करें।"
पिछले चुनाव में बंपर वोट से जीते
अमृतसर ईस्ट निर्वाचन क्षेत्र 2012 में बनाया गया था। इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 1,59,835 मतदाता हैं, जिनमें 85,251 पुरुष और 74,583 महिलाएं हैं। नवजोत कौर सिद्धू ने 2012 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 7,000 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव जीता। नवजोत सिंह सिद्धू ने हालांकि 2017 का चुनाव 42,000 से अधिक मतों के अंतर से जीता था। नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछला चुनाव भारी अंतर से जीता था क्योंकि प्रतिद्वंद्वी उनके खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार को खड़ा करने में विफल रहे थे। इस बार, शिरोमणि अकाली दल ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव किया है और बिक्रम मजीठिया को मैदान में उतारा है, जो सिद्धू के कट्टर विरोधी माने जाते हैं।