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कभी 'लिंचिंग-पैड' कहे गए झारखंड में अब मॉब लिंचिंग रोकथाम बिल, क्या हैं प्रावधान

 शाइस्ता परवीन के चेहरे की शिकन अब थोड़ी कम हुई है. उन्हें इस बात का इत्मीनान है कि झारखंड में मॉब लिंचिंग करने वाले लोगों के लिए अब सख़्त क़ानून बनाया जा रहा है. इसके बाद कोई हिंसक भीड़ किसी निर्दोष को मारने से पहले दस बार सोचेगी क्योंकि उन्हें इस बात का डर होगा कि पूरी ज़िंदगी जेल में गुज़ारनी पड़ सकती है, या फिर उनका घर तबाह हो सकता है.



उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर ऐसे लोगों के लिए फांसी की सज़ा का प्रावधान करने की मांग की थी. तब सीएम ने उन्हें कहा था कि वे जल्दी ही ऐसा क़ानून बनावाएंगे.


शाइस्ता ने बीबीसी से कहा, ''जिसने जैसा किया, उसके साथ वैसा ही बर्ताव होना चाहिए. फिर भी मैं ख़ुश हूं. नए क़ानून की ख़बर से मुझे राहत मिली है. मैं मुख्यमंत्री जी की शुक्रगुज़ार हूं. उन्होंने मुझे बहन कहा था और वे अपना वादा पूरा कर रहे हैं. लेकिन, ज्यादा अच्छा होता अगर दोषियों को फांसी की सज़ा मिलती और मेरे जैसे प्रभावित लोगों को मुआवज़ा और नौकरी भी.''


शाइस्ता परवीन उन तबरेज़ अंसारी की पत्नी हैं जिन्हें एक भीड़ ने झारखंड के धतकीडीह गांव में बुरी तरह पीटा था. वे मुसलमान थे. इसके बावजूद उन्हें जय श्री राम और जय बजरंगबली बोलने के लिए बाध्य किया गया. भीड़ ने बिजली के एक खंबे से बांधकर उन्हें बुरी तरह पीटा. उनपर चोरी के आरोप लगाए गए. रात भर हुई बर्बरता की अगली सुबह पहुंची पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया. वह 17 जून 2019 की रात थी.


इसके पांच दिन बाद 22 जून को उनकी मौत हो गई. तब तबरेज़ अंसारी की शादी (निकाह) के दो महीने भी पूरे नहीं हुए थे. यह केस अभी सेशन कोर्ट के ट्रायल में है और सिर्फ़ मुख्य अभियुक्त को छोड़कर बाकी सभी 11 अभियुक्तों को झारखंड हाईकोर्ट से ज़मानत मिल चुकी है.