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विश्व टीबी दिवस (24 मार्च) पर विशेष

 

टीबी मरीजों से न करें भेदभाव, रखें हमदर्दी 



कासगंज 26 मार्च 2023।



देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न  कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार यह संदेश दिया जा रहा है  कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है। जल्दी और पूर उपचार करने पर टीबी बिलकुल ठीक होता है| उपचार शुरू होते ही संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। टीबी के मरीज का सामान, कमरा आदि अलग करने की जरूरत नहीं है। मरीज से अपनापन व हमदर्दी रखें, उसके साथ कोई भेदभाव न करें, यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अतुल सारस्वत का।



केस 1- कासगंज निवासी 22 वर्षीय शावेज़ का कहना है कि लगातार बुखार व कम वजन होने के कारण उसे अस्पताल ले जाया  गया। डॉक्टर ने उन्हें टीबी की जाँच कराने को कहा, वहाँ उन्होंने टीबी की जाँच कराई और , टीबी का पता चलते ही उन्होंने तय किया कि भेदभाव से बचने के लिए इस बीमारी के बारे में किसी को नहीं बताएंगे। खानदान व गावं के लोगों को न पता चले इसलिए नज़दीकी स्वास्थ्य केन्द्र से टीबी की दवा लेने के बजाय प्राइवेट अस्पताल से दवा ली। और अब वह बिल्कुल स्वस्थ् है| , शावेज़ व उनके परिवार वालों का कहना है कि उन्हें ऐसा लगता है  अगर उन्होंने अपने नज़दीकी या जानने वालों को इस बारे में बताया तो वह उनके संग दूरी बनाएंगे। 




केस 2- दुर्गा कलोनी निवासी 30 वर्षीय नीलम ने बताया कि उनकी आँखों का पर्दा खराब होने लगा। अलीगढ में जाकर उन्होंने आँख के डॉक्टर को दिखाया तो वहाँ उनकी सारी जाँच कराई गई। जाँच की पुष्टि होने पर पता चला कि उनको टीबी है, जिसकी वजह से आँखों पर असर पड़ा है| नीलम ने बताया कि एक आंख की रोशनी 95 प्रतिशत जबकि दूसरी आंख की रोशनी 5 प्रतिशत कम हुई है। उन्होंने कहा कि एक आंख जों 5 प्रतिशत खराब हुई है, आखों व टीबी के इलाज के बाद सही किया जा सकता है। डॉक्टर ने उन्हें कासगंज के डॉट्स सेंटर की जानकारी दी। जिला अस्पताल में टीबी का उपचार शुरू किया। नीलम बताती है कि उन्होंने छह माह का पूरा इलाज कर लिया है उन्हें पहले से बहुत आराम है, आँखों से दिखाई भी दे रहा है।



जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा टीबी को लेकर मन में भ्रांतियाँ न रखें। सभी लोगों को टीबी मरीज से भेदभाव न करके अपनापन व हमदर्दी रखनी चाहिए। टीबी रोग को लेकर समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज में टीबी को लेकर कहीं न कहीं यह डर है कि टीबी मरीज़ के साथ बातचीत करने या रहने से वह भी संक्रमित हो सकते हैं। इसी वजह से मरीजों के साथ भेदभाव होता है। उन्होंने कहा कि टीबी रोगियों के प्रति भेदभाव की रोकथाम के लिए सभी का साथ ज़रूरी है। जिससे समाज में फैली भ्रांतियों को दूर किया जा सके। टीबी गरीब अमीर, जात पात देखकर नहीं होती है। टीबी किसी को भी हो सकती है। इसलिए टीबी मरीज़ को भेदभाव की नजर से न देखे।



क्षय रोग जिला समन्वयक धर्मेंद्र यादव ने कहा कि दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार आना, बलगम में खून आना, वजन का कम होना आदि लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर तुरंत जांच करवानी चाहिए। टी बी की जांच सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में उपलब्ध है|  



जाँच में टीबी की पुष्टि होने पर उपचार और दवा निशुल्क उपलब्ध किये जाते है| नियमित दवा सेवन के साथ खानपान का भी ख्याल रखना ज़रूरी है। भोजन में दालें, अनाज, घी, दूध, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अंडा, मछली आदि शामिल करें। इससे दवा पूरा असर करेगी और टीबी से जल्द मुक्त हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 1800 टीबी मरीजों का उपचार चल रहा है। निक्षय मित्रों ने 1200 रोगियों को गोद लिया है। इसके साथ ही टीबी मरीज़ को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान हर माह 500 रुपये भी दिए जा रहे हैं।



जाँच व डॉट्स सेंटर की सुविधा उपलब्ध



सयुंक्त जिला अस्पताल, मामो 


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अशोक नगर


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सोरों


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सहावर


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गंजडुण्डवारा


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पटियाली


प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अमापुर


प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सिढ़पुरा