कृषि कानूनों के विरोध व किसान आंदोलन के समर्थन में एकजुट हुए युवा
जितेन्द्र कुमार ब्यूरो चीफ चण्डी़गढ
सैंकडों कार व ट्रैक्टरों के साथ युवाओं ने रैली निकाल चेताया सरकार को
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कृषि कानून सिर्फ किसान ही नहीं हर वर्ग के के लिए नुकसानदायक : गौरव चौधरी
यमुनानगर, 27 दिसंबर। कृषि कानूनों के विरोध व किसान आंदोलन के समर्थन में सामाजिक संगठन खुशी उन्नति केंद्र द्वारा विशाल कार व ट्रेक्टर रैली निकाली गई। कार-टैक्टर रैली में हजारों की संख्या में युवा संगठित हुए व सरकार को कृषि कानून रद्द करने के लिए चेताया। सुबह से ही भारी संख्या में लोग अपनी कारों व ट्रेक्टरों के साथ यमुनानगर अनाज मंडी में एकत्रित होना शुरु हो गए। देखते ही देखते तकरीबन 11 बजे तक हजारों की संख्या अनाज मंडी में इकट्ठी हो गई। कृषि कानूनों के विरोध में कार व ट्रैक्टरों की रैली अनाज मंडी गेट से शुरु होकर मॉडल टाउन व अग्रसेन चौंक से होती हुई भम्बोली टोल टैक्स पर पहुंची। रैली के दौरान युवाओं, महिलाओं, व्यापारियों, वकीलों, अध्यापकों व अन्य समाजसेवियों का कृषि कानूनों के विरूद्ध गुस्सा देखा जा सकता था। रैली इतनी बडी थी कि लगभग पांच किलोमीटर तक रैली में शामिल कार व ट्रेक्टर ही दिखाई दे रहे थे।
खुशी उन्नति केंद्र के अध्यक्ष गौरव चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जो तीन कृषि कानून बनाए गए हैं, ये हर प्रकार से किसान, व्यापारी व आमजन के विरोधी है। इन कानूनों से न सिर्फ किसान को नुकसान होगा बल्कि व्यापारियों व आमजन को भारी नुकसान का सामना करना पडेगा। युवाओं में बेरोजगारी बढ़ेगी और व्यापारियों का व्यापार भी प्रभावित होगा। उन्होने सरकार से आग्रह किया कि केंद्र की भाजपा सरकार अपनी हठधर्मिता छोडकर उन किसानों के बारे में भी सोचे जो पिछले 29 दिनों से कडकडाती ठंड में सडकों पर पडे हुए हैं। केंद्र सरकार को चाहिए कि वे तुरंत इन बिलों को वापिस लेकर सडकों पर पडे किसानों को उनके घरों में भेजने का कार्य करें।
समाजसेवी संजय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों को इन बिलों मे संशोधन मंजूर नहीं है क्योंकि यह तीनों कानून किसान को मारने के लिए लाए गए हैं। ये सभी कानून किसानी के विरूद्ध हैं व किसानों की जमीनों को बिकवाने वाले कानून हैं। यदि सीधे रूप से कहा जाए तो सरकार द्वारा लाए गए ये कानून किसानों के डेथ वारंट से कम नही हैं। सरकार को इन बिलों में संसोधन की बजाए इन्हे निरस्त करना चाहिए। सुनील श्योराण ने कहा कि मोदी जी अपने मन की बात कर रहे हैं लेकिन लाखों किसान बॉर्डर पर अपने मन की बात बता रहे हैं। मोदी जी को अपनी बात कहने की बजाए किसानों के मन की बात सुननी चाहिए इसलिए अब देशवासी प्रधानमंत्री की मन की बात नहीं सुनेंगे।
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प्रधानमंत्री कर रहे थे मन की बात और रैली में बजाई जा रही थी थाली
रविवार को जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात कर रहे थे, एसी वक्त कार व ट्रेक्टर रैली के दौरान लोग थाली बजा कर विरोध दर्ज करवा रहे थे। इस दौरान कारों व ट्रेक्टरों पर सवार होकर कार्यकर्ताओं ने खूब थाली व ताली बजाई और सरकार से मांग की कि तीनों कृषि बिलों को रद्द किया जाए।