महामारी ने मासूमों से बस्ता छीन कामकाज को मजबूर किया, सरकारी स्कूलों के 30 फीसदी बच्चों ने स्कूल छोड़ा
कोरोना के कारण पिता की आमदनी घट गई तो कक्षा आठ के छात्र आकाश को पढ़ाई छोड़नी पड़ी। पिता के लिए तीन बच्चों को पालना मुश्किल था तो पढ़ाते कैसे। ऐसे में आकाश को परिवार का सहारा बनने लिए कच्ची उम्र में टेंपो में हेल्पर बनना पड़ा।
यह कहानी अकेले आकाश की नहीं है। दिल्ली में ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं, जिन्होंने महामारी में परिवार की कमाई छूटने पर बस्ता उतारकर पीठ पर कबाड़ का बोझा लाद लिया। हाथ में कॉपी-किताब की जगह प्लास-पेचकस थाम लिया। स्कूल के बजाए खुद को धधकते भट्ठों पर तपाना शुरू कर दिया।