क्षय रोग उपचार के साथ पोषण भी ज़रूरी : डीटीओ
दो सप्ताह से ज्याद अधिक खांसी आने पर कराएं तुरंत जांच
वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए उपचार के साथ पोषण भी जरूरी है। क्षय रोग में होने वालीं मृत्यु दर में कमी लाने के लिए अच्छे खान पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अच्छा खान पान से क्षय रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिससे शरीर में संक्रमण बढ़ने का खतरा कम रहता है। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव का।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा - कि क्षय रोग के साथ कुपोषण एक बहुत ही बड़ी चुनौती है। क्षय रोग से होने वाली मृत्यु दर पर नियंत्रण पाने के लिए खान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि क्षय रोग के दौरान पोषक तत्वों की आवश्यकता सामान्य दिनों से ज्यादा रहती है। इसलिए क्षय रोगी को अधिक पोषण युक्त भोजन की जरूरत होती है। रोगी को दिया जाने वाला भोजन दालें, अनाज घी, दही, दूध, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल,अंडा, मछली आदि भोजन में दें। जिससे कि क्षय रोगी को बेहतर स्वास्थ्य मिल सके।
डॉ. सीएल यादव का कहना है कि दो हफ्ते से या लगातार खांसी का बना रहना खांसी, बुखार का आना ठंड लगना, खांसी आते समय सीने में दर्द होना, कमजोरी एवं थकावट, भूख न लगना लगातार वजन का कम होना, सोते समय अधिक पसीना आना आदि लक्षण होने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं। उन्होंने कहा क्षय रोग होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, टीबी का इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि टीबी अस्पताल में क्षय रोगियों का निःशुल्क इलाज किया जाता है।निक्षय योजना के तहत हर क्षय रोगी के खाते में सरकार की ओर से प्रति माह 500 रुपये भेजे जाते हैं।
- कासगंज मोहल्ला चक्किया निवासी 21 वर्षीय सावेज ने बताया एक वर्ष पहले वे क्षय रोग से ग्रसित हो गए थे, अस्पताल में उनकी निशुल्क जांच की व छ: निशुल्क उपचार मिला, साथ ही प्रति माह 500 रूपये उनके खाते में भेजे जाते थे। उन्होंने बताया डॉक्टर ने उन्हें खाने में अनाज, दालें, दूध, घी, अंडा मांस मछली आदि भोजन में लेने को कहा गया है। उन्होंने डॉक्टर द्वारा दिए गए परामर्श से ही उपचार व खान पान लिया