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टीबी को मात देने में अहम भूमिका निभा रहे डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता

 

-टीबी नोटिफिकेशन करने में प्राप्त किया पहला स्थान 

-हर माह 40 से 50 टीबी मरीजों को क्षय रोग विभाग को करते हैं रेफर

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर विशेष 


फिरोजाबाद, 30  जून 2022।

एक चिकित्सक को धरती का भगवान कहा जाता है। चिकित्सक हमेशा अपने मरीज का उपचार करने के लिए तत्पर रहते हैं। भारत में देश महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बीसी रॉय की याद में एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। डॉ. रॉय का चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान है। इसी तरह जनपद के डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता जनपद से टीबी के खात्मे में अपना अहम योगदान दे रहे हैं ।

डॉ. दिनेश एमडी मेडिसिन फिजिशियन चिकित्सक हैं । अपने घर में वह पहले सरकारी डॉक्टर थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वह सुहाग नगर क्षेत्र में क्लीनिक संचालित कर रहे हैं। जनपद को टीबी मुक्त करने में उनका अहम योगदान रहा है। वह जिला क्षय रोग विभाग के साथ मिलकर टीबी मरीजों को चिन्हित करने में मदद कर रहे हैं। वह हर माह 40 से 50 क्षय रोगियों को चिन्हित करके डीटीसी रेफर करते हैं। टीबी नोटिफिकेशन के मामले में उनका जनपद में पहला स्थान है। 2016 से अब तक डॉ. दिनेश ने डीटीसी को 2450 टीबी मरीजों को रेफर किया है।



उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि हम जनपद में सरकारी विभाग के साथ-साथ निजी चिकित्सकों और केमिस्टों के साथ मिलकर टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए काम कर रहे हैं। इसमें हम निजी चिकित्सकों को भी टीबी रोगियों की पहचान में मदद ले रहे हैं। इस कार्य में डॉ. दिनेश बढ़-चढ़कर विभाग का सहयोग कर रहे हैं। उनके प्रयास सराहनीय हैं।

डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का दुनिया से टीबी को खत्म करने का 2030 तक का लक्ष्य है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सभी को सहयोग करने की आवश्यकता है। इसलिए हम भी इस अभियान में अपना सहयोग दे रहे हैं।

डॉ. दिनेश ने कहा कि किसी को भी टीबी के लक्षण सामने आएं तो वे अपनी जांच अवश्य कराएं। टीबी की जांच और उपचार पूरी तरह मुफ्त है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह पूरा उपचार लेने के बाद स्वस्थ हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास आने वाले मरीजों को यदि टीबी के लक्षण मिलते हैं तो वह डीटीसी में उनकी जांच कराते हैं। यदि मरीज को टीबी की पुष्टि होती है तो वे उनकी काउंसलिंग करते हैं। उन्हें बताते हैं कि उनका उपचार मुफ्त हो सकता है और दवा खाने से वे स्वस्थ हो जाएंगे। 

डॉ. गुप्ता ने बताया कि वे अपने मरीजों से भी कहते हैं कि उनके आस-पास किसी को लंबे समय से खांसी या नजला इत्यादि हो तो उसे उनके पास भेजें। जिससे कि वे उसकी स्क्रीनिंग करके टीबी की पहचान कर सकें।  उन्होंने  ने बताया कि जिला क्षय रोग केंद्र के मनीष कुमार का सहयोग बहुत अच्छा है। इस  सहयोग की बजह से हमलोग टीबी के मरीजों बेहतर सुविधाएं भी दे रहे है।