भारत में केंद्र सरकार द्वारा हो रही दुर्गति के बारे में संज्ञान लेते अपना रोष प्रगट किया।
आज शिवसेना हिंदुस्तान से पंजाब राज्य सचिव एवं चंडीगढ़ प्रदेश प्रमुख अजय सिंह चौहान जी ने प्रवासी मजदूरों की भारत में केंद्र सरकार द्वारा हो रही दुर्गति के बारे में संज्ञान लेते अपना रोष प्रगट किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। जहां एक तरफ केंद्र सरकार द्वारा विशेष विमानों से विदेशों से लोग लाए जा रहे हैं, उन पर फूल बरसाए जा रहे हैं।
वहीं पर मजदूरों के ऊपर महामारी की मार पड़ने के लिए सड़कों पर लावारिस छोड़ दिया गया है। प्रवासी मजदूरो को पलायन करते हुए कम से कम 3 से 4 सप्ताह हो गये पर इन लोगो की परेशानियो का अंत नही हो रहा है। इस कड़ी धूप की भीषण गर्मी में यह गरीब मजदूर सड़कों पर अपनी, अपने बच्चों की, अपने परिवार की जान दांव पर लगाने को मजबूर हो रहे है। उनका जानवरों से भी बदतर हाल हो रहा है। ये लोग घर पहुँचने की मृग तृष्णा मे सैकड़ो किलोमीटर का सफर पैदल तय करके, भूखे प्यासे कर रहकर अपने घर पहुँच रहे है और कुछ रास्तो मे ही दम तोड़ रहे है। ये सभी केन्द्र सरकार की अव्यवस्था का शिकार हो रहे है। क्या केंद्र सरकार का इन मजदूरों के प्रति कोई कर्त्तव्य नहीं है? क्या केंद्र सरकार सिर्फ अमीरों को या उनके बच्चों को ही विदेशों से ला सकती है? उनके घरों की ताक छोड़ सकती है? यह मजदूर के सड़कों पर निकलकर भगवान के भरोसे अपने घर को चल पड़े हैं उनकी कोई सुध लेने वाला इस देश में कोई है? क्योंकि सरकारी अफसर, चाहे वह जिला स्तर के हो, चाहे प्रदेश स्तर का हो, कोरोनावायरस के डर से अपने घरों में कैद हो चुके है। उसको कोई चिंता नहीं है इन मजदूरों की। चिंता है तो देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की। चिंता है तो देश की आमदनी के नए स्रोत खोजने की। आज समूचा मजदूर वर्ग अपने आप को अनाथ महसूस कर रहा है और दिल ही दिल में केंद्र सरकार से सवाल कर रहा है कि केंद्र सरकार ने हमें किस बात की सजा दी है, क्यों हमारी सुध नहीं ली गई? एक डेढ़ महीने के बाद जाकर ट्रेनों की व्यवस्था की गई है लेकिन हम जो पहले से निकल चुके हैं, क्या हमारी भी केंद्र सरकार सुध लेगी? देश की सड़को पर मंजर बंटवारे जैसा नजर आ रहा है लेकिन सरकार शायद बेशर्म हो गई है। देश के प्रवासीयो को भाग्य मे जितना कष्ट ओर तकलीफे लिखी है वो तो भोगनी ही पड़ेगी। शायद सरकार यह भूल चुकी है कि इन्हीं मजदूरों की वोटों की वजह से आज नगर निगम एवं सांसद, पार्षद इत्यादि महत्वपूर्ण सीटों पर कब्जा किए हुए हैं। अब मजदूर भी वक्त का इंतजार करेंगे केंद्र सरकार से इस दुर्दशा के कारणों के सवाल पूछने का।
अजय सिंह चौहान ने कहा कि अब भी समय है केंद्र सरकार के पास अपनी गलती सुधारने का। अपने जिला स्तर के, राज्य स्तर के अधिकारियों की विशेष ड्यूटियां लगा कर इन मजदूरों की सुध लगाए। जहां पर भी मजदूर सड़कों पर दिखाई दें, उनके खाने की, रहने की और उनकी आय के लिए फिर से रोजगार को व्वस्था करें। अगर मजदूर खुशहाल होगा तभी भारत समस्त विश्व में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेगा।
व्यूरो रिपोर्ट
जितेंद कुमार
चंडीगढ़