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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव - सपा का रिकार्ड तोडना भाजपा को चुनौती

लखनऊ ।जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के सामने सपा का 2015 पंचायत चुनाव का रिकार्ड तोड़ने की चुनौती है। सपा ने 2015 में 63 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता था वहीं भाजपा केवल तीन पर सिमट कर रह गई थी।

2021 के पंचायत चुनाव में भाजपा ने 21 जिलों में अपने निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित कराने में सफलता हासिल की है। पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानने के कारण राजनीतिक पंडितों की निगाहें शनिवार को होने वाले चुनाव और उसके परिणाम पर टिकी है। 

प्रदेश में डेढ़ दशक बाद पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई भाजपा ने करीब दो वर्ष तक पंचायत चुनाव की तैयारी की।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पंचायत चुनाव होने के कारण जिला पंचायत सदस्य चुनाव में तो भाजपा को खास सफलता नहीं मिली। लेकिन पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में उसकी भरपाई की रणनीति बनाई। पार्टी ने हालांकि घोषित तौर पर कोई लक्ष्य नहीं रखा है, लेकिन सरकार व संगठन की कोर कमेटी की बैठक में सपा के 63 सीटों के रिकार्ड को तोड़ने का मन बनाते हुए सरकार व संगठन जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में जुटे हैं। पार्टी ने पुरजोर कोशिश के बाद वाराणसी, मऊ, गोरखपुर, आगरा, मेरठ, मुरादाबाद और गाजियाबाद जैसे बड़े जिलों सहित कुल 21 जिलों में निर्विरोध जीत दर्ज करने में सफलता हासिल भी की है। वहीं सपा को एक मात्र इटावा में निर्विरोध जीत मिली है, यहां भी सपा उम्मीदवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का भी समर्थन था। पार्टी जुलाई के मध्य से विधानसभा चुनाव के मैदान में कूदने जा रही है, उससे पहले पार्टी गांवों की सरकार में अपना कब्जा जमाकर माहौल बनाना चाहती है। पार्टी ने सपा का रिकार्ड तोड़ने के लिए पूरी ताकत लगाई है। प्रभारी मंत्रियों के साथ पार्टी की ओर से नियुक्त प्रभारी पदाधिकारियों को जिलों में तैनात कर दिया है। प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों के खेमे में शामिल सदस्यों को तोड़ने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। जहां कहीं विरोध के सुर उबर रहे हैं वहां सरकार और संगठन के स्तर से अंगुली टेढ़ी कर विरोध को दबाने का भी प्रयास किया जा रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह, महामंत्री संगठन सुनील बंसल और पंचायत चुनाव प्रभारी जेपीएस राठौर सहित अन्य पदाधिकारियों ने शुक्रवार को एक-एक जिले में फोन कर उम्मदीवारों और प्रभारियों से स्थिति का जायजा लिया। वहीं सरकार में भी मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर सरकार के प्रमुख मंत्री इस काम में जुटे रहे। यदि भाजपा शनिवार को सपा का 63 सीटों का रिकार्ड तोड़ने में सफल होती है तो विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनता के बीच बड़ा संदेश जाएगा। वहीं यदि सपा विपक्ष में होने के बाद भी भाजपा को रिकार्ड तोड़ने से रोकती है तो चुनाव परिणाम सपा के लिए संजीवनी बन जाएगा।

 ब्यूरो रिपोर्ट सोनू राजपूत की रिपोर्ट