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भिक्षु सम्मेलन का मोमबत्ती अगरबत्ती जला कर किया शुभारम्भ

संकिसा फर्रुखाबाद । बौद्ध तीर्थ स्थल संकिसा में भिक्षु सम्मेलन के मुख्य अतिथि डा.धम्मपाल महाथैरो, भिक्षु सम्मेलन के मुख्य वक्ता भिक्षु ज्ञानादेव तथा भिक्षु प्रज्ञा सागर तथा  कार्यक्रम के संयोजक कर्मवीर शाक्य ने भिक्षु सम्मेलन का अगरबत्ती मोमबत्ती जलाकर शुभारंभ किया। और बुध्द वंदना की। 

इस अवसर पर भन्ते प्रज्ञा सागर ने कहा कि शरद पूर्णिमा के दिन वर्षावास समाप्त होता है और चुटकी में भगवान् बुध्द उसके पास पंहुचते हैं। 

बुध्द जी अपनी माँ को भवसागर की मुक्ती के लिए देव लोक गये। 

अपनी माँ को बौद्ध धर्म का उपदेश दिया। बुध्द  विचारों को अपने जीवन में उतारोगे तभी आप उनके पुत्र,पुत्री होगें। अन्यथा उनके पुत्र पुत्री नहीं होगें। बौद्धों के लिए संकिसा एक भूमि है। यह भूमि बुध्दों की है लुम्बिनी,सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर,में से संकिसा सबसे पवित्र भूमि है। यहां बुध्द के चरण पडे हैं। ऐसी भूमि पर उनके आचरण को अपने जीवन में लायेगें बुद्धिष्ठ अपने कल्याण के लिए बनते हैं।

जो बुध्द के बताये मार्ग पर चलेगा बुध्द का धर्म परमसुख के लिये है। 

निहृावान उसे मिलता है जो अनागामी है।

बुध्द को निर्वाहृन  बोध गया पीपल के पेड़ के नीचे मिला था। 


डा. धम्मपाल  महाथैरो ने कहा कि संकिसा की एक अपनी विशेषता है 84 हजार उपदेशों में एक बटे तीन भाग संकिसा का है।

शरद पूर्णिमा को बुध्द इन्द्र व ब्राह्म के साथ संकिसा स्तूप पर आये सबसे पहले सार पुत्र को उपदेश संकिसा में दिया।



भगवान बुद्ध ने पांच सौ भिक्षुओं को उपदेश दिये इनसे पहले भगवान बुद्ध ने 24 भिक्षुओं को उपदेश दिये थे जो सबसे पहले संकिसा आये थे।


  संकिसा में किसी ब्राह्मण कुल में भगवान बुध्द पैदा होगें। संकिसा की मिट्टी को अपने घरों में लेजाते हैं और उस मिट्टी की पूजा करते हैं।