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क्षेत्रवाद-जातिवाद ध्वस्त, क्या हैं वो मुख्य मुद्दे जिसने भाजपा को दिलाई प्रचंड जीत

 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने वोटों में बढ़ोतरी का कीर्तिमान स्थापित करने के साथ ही करीब 37 वर्षों बाद लगातार दोबारा पूर्ण बहुमत हासिल करने और लाभार्थी योजनाओं से जातियों की गोलबंदी तोड़ने का संदेश दिया है।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव में जातीय गोलबंदी तोड़ने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व के साथ ही डबल इंजन सरकार की लाभार्थी योजनाओं का प्रभाव रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक नब्ज समझने वाले शिक्षाविद डॉक्टर प्रभाकर मिश्र ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, ''यह सही है कि इस चुनाव में मतदाताओं को जातियों में बांटने की कोशिश हुई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व, किसान सम्मान निधि, गरीबों को राशन और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्‍य सरकार की कानून-व्यवस्था ने क्षेत्रवाद, जातिवाद और अन्‍य समीकरणों को ध्वस्त कर दिया है।''

पिछड़ों को एकजुट करने की विपक्ष की मुहिम फेल

उत्तर प्रदेश में 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार में करीब पांच वर्ष तक मंत्री रहे स्‍वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी ने ऐन चुनाव के मौके पर भाजपा पर पिछड़ों दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होकर अखिलेश यादव के नेतृत्व में पिछड़ों को एकजुट करने की मुहिम शुरू की। हालांकि, मौर्य और सैनी खुद चुनाव हार गये।

छोटी जातियों की गोलबंदी की कोशिश

अखिलेश यादव की अगुवाई में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर, जनवादी पार्टी के डॉक्टर संजय चौहान, अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष डॉक्टर कृष्णा पटेल भी भाजपा की राह रोकने में पूरी ताकत से जुटे थे। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की करीब 52 फीसदी आबादी है और अखिलेश यादव के नेतृत्व में जुटे यादव, कुर्मी, राजभर, चौहान (नोनिया), मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा आदि पिछड़ी जातियों के नेताओं ने हर क्षेत्र में गोलबंदी का प्रयास किया।

छोटे दलों को बड़ी सफलता

चुनाव नतीजे आए तो भारतीय जनता पार्टी को राज्य की 403 विधानसभा सीटों में 255 पर जीत मिली और उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने 12 तथा निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) ने छह सीटों पर जीत हासिल की। इस तरह भाजपा गठबंधन ने कुल 273 सीटें हासिल कर पूर्ण बहुमत की लगातार दो बार सत्ता हासिल की।