जानें भारत में क्यों कम है कोरोना की चौथी लहर का खतरा, वैज्ञानिकों को है किस बात का डर
विश्व में अभी भी कोरोना के रोज लाखों मामले आ रहे हैं, लेकिन अब दुनिया ने डरना छोड़ दिया है। कई देशों ने इसकी जांच भी बंद कर दी है। मास्क की अनिवार्यता हटाई जा रही है साथ ही कुछ देश कोरोना रोगियों के लिए पांच दिन के आइसोलेशन को भी जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं। दो लहरों में भारी तबाही देख चुके भारत में तीसरी लहर अपेक्षाकृत कम घातक रही है। देश में आर्थिक गतिविधियां खुल चुकी हैं, कोरोना के खिलाफ टीकाकरण युद्धस्तर पर चल रहा है, लेकिन चौथी लहर को लेकर कुछ संशय बना हुआ है।
भारत में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेजी से शून्य की ओर अग्रसर होती दिखाई दे रही है। संक्रमण दर 0.37 फीसदी तक नीचे आ चुकी है। लेकिन पिछले दो साल के दौरान लोगों ने जिस प्रकार से तीन राष्ट्रव्यापी और कई स्थानीय संक्रामक लहरों का सामना किया है, उससे यह प्रश्न सबके मन में है, आगे क्या होगा? क्या फिर देशव्यापी चौथी लहर आएगी या फिर कोरोना सर्दी-जुकाम जैसी एक बीमारी बनकर रह जाएगा?
चीन और यूरोप में बढ़ रहे हैं मामले
यहां यह भी जानना जरूरी है कि देश में जहां कोरोना कमजोर पड़ रहा है, वहीं दुनिया में आज भी रोज कोरोना के 10-11 लाख नए संक्रमण दर्ज हो रहे हैं। हालांकि, पूर्व में यह संख्या 30 लाख तक पहुंच चुकी थी। इतना ही नहीं, दुनिया के कुछ हिस्सों, जिनमें चीन और यूरोप के कुछ हिस्से शामिल हैं, वहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि क्या दुनिया में कोरोना की एक नई लहर की शुरुआत हो चुकी है? यदि हां, तो फिर भारत इससे कितनी दूर है?